तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीबीआई एफआईआर दर्ज कराएगी. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष यह जानकारी दी. अब अगली सुनवाई 20 सितंबर को होनी है. मामले के अनुसार 2016 में एक निजी चैनल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया गया था. इस स्टिंग में हरीश रावत अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों से सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे. इसी दौरान कांग्रेस के कुछ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए जिस कारण प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था.
प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का मामला पहले हाईकोर्ट और फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जिसके फलस्वरूप रावत सरकार बहाल हो गई थी. केंद्र ने सरकार बहाली से पहले ही राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल की संस्तुति पर इस स्टिंग मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश जारी कर दिए थे. रावत सरकार पुन: बहाल होने के बाद कैबिनेट की बैठक में राज्यपाल की ओर से की गई सीबीआई जांच की संस्तुति को वापस लेने तथा मामले की जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया. केंद्र सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिलने पर हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई द्वारा पीआई (प्रारंभिक जांच) की जाती रही. सीबीआई जांच के खिलाफ हरीश रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई अब भी जारी है. भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत द्वारा भी इस मामले में एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कहा गया था कि सीबीआई जांच रद्द करने संबंधी राज्य कैबिनेट की बैठक विधि मान्य नहीं थी. सीबीआई ने 21 अगस्त को हुई सुनवाई में स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच पूरी कर लिए जाने की जानकारी अदालत को दी थी और जल्द ही सुनवाई का अनुरोध किया था. सीबीआई ने ताजा सुनवाई में अदालत को बताया कि वह इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जा रही है.
प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का मामला पहले हाईकोर्ट और फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जिसके फलस्वरूप रावत सरकार बहाल हो गई थी. केंद्र ने सरकार बहाली से पहले ही राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल की संस्तुति पर इस स्टिंग मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश जारी कर दिए थे. रावत सरकार पुन: बहाल होने के बाद कैबिनेट की बैठक में राज्यपाल की ओर से की गई सीबीआई जांच की संस्तुति को वापस लेने तथा मामले की जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया. केंद्र सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिलने पर हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई द्वारा पीआई (प्रारंभिक जांच) की जाती रही. सीबीआई जांच के खिलाफ हरीश रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई अब भी जारी है. भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत द्वारा भी इस मामले में एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कहा गया था कि सीबीआई जांच रद्द करने संबंधी राज्य कैबिनेट की बैठक विधि मान्य नहीं थी. सीबीआई ने 21 अगस्त को हुई सुनवाई में स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच पूरी कर लिए जाने की जानकारी अदालत को दी थी और जल्द ही सुनवाई का अनुरोध किया था. सीबीआई ने ताजा सुनवाई में अदालत को बताया कि वह इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जा रही है.
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