हल्द्वानी: शुक्रवार दोपहर लालडांठ स्थित एक निजी अस्पताल की निर्माणाधीन बिल्डिंग में वार्ड ब्वाय का शव मिलने से हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि वह तीन दिन से लापता था. उसके दाहिने हाथ में सिरिंज लगी हुई थी. पुलिस जांच के बाद पता चला कि उसके शरीर पर फफोले पड़ गए थे. फिलहाल इस घटना को पुलिस आत्महत्या मानकर जांच कर रही है. अल्मोड़ा जिले के टोटाम भतरौंजखान निवासी ईश्वर सिंह रावत पुत्र आनंद सिंह रावत हल्द्वानी क्षेत्र के लालडांठ स्थित एक निजी अस्पताल में वार्ड ब्वाय की नौकरी करता था. अस्पताल प्रबंधन द्वारा ईश्वर को परिवार के साथ रहने के लिए दूसरे तल पर कमरा भी उपलब्ध कराया गया था.
अचानक 12 नवंबर को वह घर से लापता हो गया. शुक्रवार को दोपहर के समय अस्पताल के एक कर्मचारी अखिलेश मेलकानी ने अस्पताल के पीछे निर्माणाधीन बिल्डिंग के बाथरूम में ईश्वर का शव पड़ा हुआ देखा. उसने घटना की जानकारी मुखानी पुलिस को दी. थानाध्यक्ष भगवान सिंह महर और उपनिरीक्षक मनोज पांडे ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया. ईश्वर दीवार की टेक लगाए हुए पड़ा था. उसके दाहिने हाथ में सिरिंज भी लगी हुई थी. ईश्वर का शरीर अकड़ गया था और उसके शरीर पर फफोले भी पड़ गए थे. सूचना मिलने पर ईश्वर के पिता भी मौके पर पहुंच गए. पूछताछ के दौरान पता चला कि ईश्वर 2016 से अस्पताल में कार्यरत था. पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि ईश्वर पहले भी ऐसा कर चुका है. ईश्वर के दो बड़े भाई भी हैं जिनका नाम गोधन और जगत सिंह है. थानाध्यक्ष का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही ईश्वर की मौत की वजह साफ हो पाएगी.
ईश्वर के शव को देखते ही उसकी पत्नी नीमा बेहोश हो गई. अस्पताल के कर्मचारी ने उसपर पानी छिड़ककर होश में लाए. पूछताछ में पता चला कि 12 साल पहले नीमा की शादी ईश्वर के साथ हुई थी. उनकी छह साल की एक बेटी भी है.
इस घटना के बाद अस्पताल के प्रबंध निदेशक प्रदीप पांडे ने कहा कि कर्मचारी ईश्वर की मौत कैसे हुई इसका पता नहीं चल सका है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी ईश्वर काफी इमानदारी से अस्पताल में नौकरी करता था.
अचानक 12 नवंबर को वह घर से लापता हो गया. शुक्रवार को दोपहर के समय अस्पताल के एक कर्मचारी अखिलेश मेलकानी ने अस्पताल के पीछे निर्माणाधीन बिल्डिंग के बाथरूम में ईश्वर का शव पड़ा हुआ देखा. उसने घटना की जानकारी मुखानी पुलिस को दी. थानाध्यक्ष भगवान सिंह महर और उपनिरीक्षक मनोज पांडे ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया. ईश्वर दीवार की टेक लगाए हुए पड़ा था. उसके दाहिने हाथ में सिरिंज भी लगी हुई थी. ईश्वर का शरीर अकड़ गया था और उसके शरीर पर फफोले भी पड़ गए थे. सूचना मिलने पर ईश्वर के पिता भी मौके पर पहुंच गए. पूछताछ के दौरान पता चला कि ईश्वर 2016 से अस्पताल में कार्यरत था. पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि ईश्वर पहले भी ऐसा कर चुका है. ईश्वर के दो बड़े भाई भी हैं जिनका नाम गोधन और जगत सिंह है. थानाध्यक्ष का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही ईश्वर की मौत की वजह साफ हो पाएगी.
ईश्वर के शव को देखते ही उसकी पत्नी नीमा बेहोश हो गई. अस्पताल के कर्मचारी ने उसपर पानी छिड़ककर होश में लाए. पूछताछ में पता चला कि 12 साल पहले नीमा की शादी ईश्वर के साथ हुई थी. उनकी छह साल की एक बेटी भी है.
इस घटना के बाद अस्पताल के प्रबंध निदेशक प्रदीप पांडे ने कहा कि कर्मचारी ईश्वर की मौत कैसे हुई इसका पता नहीं चल सका है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी ईश्वर काफी इमानदारी से अस्पताल में नौकरी करता था.
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