हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल के इमरजेंसी में एक मरीज के ब्लड प्रेशर की जांच करने को लेकर डॉक्टरों (पीजी जेआर) में विवाद हो गया. कुछ ही देर में बात इतनी बढ़ी कि दोनों पक्षों में जमकर लात और घूंसे चलने लगे. बताया जा रहा है कि उसके बाद डॉक्टरों के गुटों में वार्ड और मेडिकल कालेज परिसर में भी विवाद और झगड़ा हुआ. इस घटना में कुछ डाक्टरों को चोट लगने की बात भी कही जा रही है. विवाद के चलते घंटों अराजकता जैसी स्थिति बनी रही.
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे चिकित्सा अधीक्षक ने दोनों पक्षों को समझाया. दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष की तरफ से मेडिकल कालेज प्रबंधन या पुलिस में लिखित में शिकायत नहीं की है. सूत्रों के अनुसार रविवार रात 11:30 बजे एसटीएच की इमरजेंसी में एक रोगी पहुंचा था. जिसके ब्लड प्रेशर की जांच को लेकर तैनात डॉक्टरों के बीच विवाद शुरू होने लगा. जिसके बाद दो विभागों के पीजी जेआर आमने-सामने आ गए. दोनों पक्षों में आपातकालीन कक्ष में ही झगड़ा शुरू हो गया. बताया जा रहा है कि इसके बाद डॉक्टर के गुटवार्ड भी आपस में भिड़ गए. दोनों गुट मेडिकल कालेज के आवासीय परिसर में भी फिर आमने-सामने आ गए. विवाद के दौरान दो डॉक्टरों के चोटिल होने की बात भी चर्चा में आ रही है. सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण जोशी ने दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामला शांत किया. बताया जा रहा है कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात को लेकर दोनों पक्ष राजी नहीं हुए. इस कारण मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा है. इस प्रकार की घटना से पुलिस ने भी अनभिज्ञता जताई है.
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे चिकित्सा अधीक्षक ने दोनों पक्षों को समझाया. दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष की तरफ से मेडिकल कालेज प्रबंधन या पुलिस में लिखित में शिकायत नहीं की है. सूत्रों के अनुसार रविवार रात 11:30 बजे एसटीएच की इमरजेंसी में एक रोगी पहुंचा था. जिसके ब्लड प्रेशर की जांच को लेकर तैनात डॉक्टरों के बीच विवाद शुरू होने लगा. जिसके बाद दो विभागों के पीजी जेआर आमने-सामने आ गए. दोनों पक्षों में आपातकालीन कक्ष में ही झगड़ा शुरू हो गया. बताया जा रहा है कि इसके बाद डॉक्टर के गुटवार्ड भी आपस में भिड़ गए. दोनों गुट मेडिकल कालेज के आवासीय परिसर में भी फिर आमने-सामने आ गए. विवाद के दौरान दो डॉक्टरों के चोटिल होने की बात भी चर्चा में आ रही है. सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण जोशी ने दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामला शांत किया. बताया जा रहा है कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात को लेकर दोनों पक्ष राजी नहीं हुए. इस कारण मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा है. इस प्रकार की घटना से पुलिस ने भी अनभिज्ञता जताई है.
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