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"मां फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा" यह थे शहीद के अंतिम शब्द. पाकिस्तान से हुई गोलीबारी में देवभूमि के दो लाल शहीद.

"मां फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा" यह थे शहीद के अंतिम शब्द. पाकिस्तान से हुई गोलीबारी में देवभूमि के दो लाल शहीद.


पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर के उड़ी सेक्टर में की गई गोलीबारी में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के दो जवान शहीद हो गए. बताया जा रहा है कि इस हमले में दो जवान घायल भी हुए हैं. शहिद हुए दोनों जवान पिथौरागढ़ जिले के हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद शहीदों के घर में कोहराम मचा हुआ है. जवानों की शहादत से जिले सहित पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है.
"मां फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा" यह थे शहीद के अंतिम शब्द. पाकिस्तान से हुई गोलीबारी में देवभूमि के दो लाल शहीद.
गंगोलीहाट ब्लॉक के नाली गांव निवासी 21 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात 31 वर्षीय नायक शंकर सिंह और मुनस्यारी ब्लॉक के नापड़ गांव निवासी 41 वर्षीय गोकर्ण सिंह  पुत्र गंगा सिंह शुक्रवार को पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी में शहीद हो गए.
देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले गंगोलीहाट के शंकर सिंह महरा के यह अपनी मां से फोन पर बात करते हुए अंतिम बार कहा कि "मां अभी फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा". इसके बाद फोन कट गया. इसके बाद अपने लाल की शहादत की खबर सुनने के बाद से मां बदहवास है. गंगोलीहाट के नाली गांव निवासी 31 वर्षीय शंकर सिंह पुत्र मोहन सिंह का जन्म पांच जनवरी 1989 को हुआ था. जीआईसी चहज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद 23 मार्च 2010 को सेना की 21 कुमाऊं में भर्ती हो गए थे. शंकर सिंह का सात वर्ष पूर्व इंद्रा के विवाह साथ हुआ था. शहीद जवान शंकर का छह साल का बेटा हर्षित है. उन्होंने बेटे को स्कूल पढ़ाने के लिए एक वर्ष पूर्व हल्द्वानी में किराए पर कमरा लिया था. लॉकडाउन के कारण उनकी पत्नी और बेटा आजकल नाली गांव वापस चले गए थे. बताया जा रहा है कि शंकर वह प्रतिदिन अपनी पत्नी इंद्रा और मां जानकी देवी से बात किया करते थे. शुक्रवार के दिन भी उन्होंने अपनी मां को फोन किया था. उन्होंने बताया कि इन दिनों सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ रही हैं. बात करते-करते उन्होंने कहा कि मां फायरिंग शुरू हो गई है मैं बाद में फोन करूंगा. जिसके बाद फोन कट गया. शंकर सिंह सीमा पर शहीद हो गए. इसके बाद शुक्रवार की देर शाम को ही गांव में खबर पहुंच गई. लेकिन शंकर की माता को यह दुखद समाचार नहीं सुनाया गया. शनिवार की सुबह जब गांव के लोग वहां पहुंचने लगे तो उन्हें कुछ अनहोनी की आशंका हो गई. उन्होंने पूछा कि कहीं उनका शंकर ठीक तो है? जैसे ही उनको बेटे की शहादत की खबर उन्हें दी गई तो वह गश खाकर वहीं गिर पड़ीं. उसके बाद से ही शहीद की मां बेसुध पढ़ी हैं.

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