कालाढूंगी के चकलुवा क्षेत्र से शुक्रवार को हाथी दांत के साथ एक तस्कर पकड़ा गया था. मामले की जांच में पता चला कि हाथी लगभग 5 साल पहले करंट लगने से मारा गया था. आरोपी ने उस हाथी को खेत में दफना दिया था. इस घटना के 2 साल बाद उस जगह को फिर से खोदा गया और हाथी के दांतों को निकाल लिया गया. और बाकी बचे अवशेषों को बौर नदी में फेंक दिया. पकड़े गए आरोपी की निशानदेही पर पुलिस की मौजूदगी में तराई केंद्रीय वन प्रभाग बरहैनी रेंज के अधिकारियों ने चकलुवा क्षेत्र के हरिपुरा निवासी अनिल वालिया के खेत में जेसीबी मशीन से खुदाई कराई.
खुदाई के दौरान खेत से हाथी की 14 रीढ़ की हड्डी और 16 पसलियां बरामद हुई. बरामद अवशेषों को जांच के लिए डब्ल्यूआईआई (देहरादून) भेजा जा चुका है. वन विभाग के एसओजी प्रभारी रूपनारायण गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी भजन सिंह के अनुसार 5 साल पहले वह अनिल वालिया के खेतों में बटाईदारी का कार्य करता था. भजन सिंह के अनुसार खेत मालिक ने अपनी फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए फार्म के चारों तरफ करंट लगाया हुआ था. इसी दौरान एक हाथी करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई. इसके बाद घर के लोगों ने कुछ दूरी पर ही हाथी को दफना दिया. वन विभाग के एसओजी प्रभारी ने जानकारी दी कि चकलुवा क्षेत्र के हरिपुरा निवासी अनिल वालिया जो कि उस खेत के मालिक हैं (जहां यह घटना हुई) उनके खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
उनका कहना है कि यदि इसमें अन्य लोग भी शामिल होंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ खेत के मालिक अनिल वालिया का कहना है कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि वह ज्यादातर चंडीगढ़ स्थित अपने घर में ही रहते हैं और यहां खेतों का सारा काम बटाईदार ही देखता है. बताया जा रहा है कि हाथी के दांतो को बेचने की काफी समय से कोशिश की जा रही थी लेकिन यह सौदा नहीं हो पा रहा था. हालांकि बाद में वन विभाग के मुखबिर को इस बात का पता लगा और मामला पुलिस तक पहुंच गया.
उनका कहना है कि यदि इसमें अन्य लोग भी शामिल होंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ खेत के मालिक अनिल वालिया का कहना है कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि वह ज्यादातर चंडीगढ़ स्थित अपने घर में ही रहते हैं और यहां खेतों का सारा काम बटाईदार ही देखता है. बताया जा रहा है कि हाथी के दांतो को बेचने की काफी समय से कोशिश की जा रही थी लेकिन यह सौदा नहीं हो पा रहा था. हालांकि बाद में वन विभाग के मुखबिर को इस बात का पता लगा और मामला पुलिस तक पहुंच गया.
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