18 वर्ष की आयु में 12 रुपए खर्च कर जीता था चुनाव. यह पूर्व मंत्री आज भी रोडवेज में करते हैं सफर

एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ गांधी टोपी पहने और कंधे पर झोला टांगकर स्थानीय रोडवेज डिपो पर हल्द्वानी जाने वाली बस का इंतजार कर रहे थे. काफी देर तक बस नहीं मिलने पर वह बस की जानकारी लेने के लिए एआरएम ऑफिस पहुंचे. कार्यालय में मौजूद स्टेशन प्रभारी नवीन आर्या ने उन्हें पहचान लिया. वह उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में काबीना मंत्री रह चुके रामप्रसाद टम्टा थे. साथ में उनकी पत्नी मुन्नी देवी भी थीं. रोडवेज के एआरएम मोहनराम आर्या तथा फोरमैन मो. यामीन ने उनका सम्मान किया और उन्हें हल्द्वानी जा रही बस में सम्मान पूर्वक बैठाया. इससे पहले बातचीत के दौरान राम प्रसाद टम्टा ने बताया कि बागेश्वर में उनके दो बेटे दुकान चलाते हैं साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी चार बेटियों की शादी हो चुकी है.
वह अधिकतर रोडवेज की बसों में ही यात्रा करते हैं. बदलते समय के साथ अब उन्हें कम ही लोग पहचानते हैं. जो उन्हें जानते हैं वे उनका सम्मान जरूर करते हैं. उनका कहना था कि आज के दौर में राजनीति की परिभाषा पूरी तरह से बदल गई है. उन्होंने बताया कि वह 1968 में यूथ कांग्रेस से जुड़े थे. 1971 में 18 साल की उम्र में वह संगठन में चले गए. इसी उम्र में उन्होंने मात्र 12 रुपए खर्च कर ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ा था. उनके समर्थकों ने चुनाव जीतने के बाद गुड़ की भेली बांट कर खुशी मनाई थी. इसके बाद बागेश्वर से 1993 में वह उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहली बार विधायक बने. 2002 में वे राज्य गठन के बाद इसी सीट से दोबारा विधायक बने तो उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में वह समाज कल्याण मंत्री बने. इस दौरान मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ 2007 तक वह मंत्री रहे. उनका कहना था कि समाजसेवा की धुन उन पर इस कदर रही कि वह अपने लिए कभी कुछ नहीं कर सके.

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