देहरादून में बना खलंगा स्मारक वीर गोरखा सैनिकों के अदम्य साहस और वीरता का प्रतीक है. लगभग 200 साल पहले गोरखाओं और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ था. जिसकी स्मृति में इस स्मारक का निर्माण किया गया था. इस स्मारक को धरोहर का दर्जा दिया गया है. वर्ष 1814 में देहरादून के नालापानी के पास स्थित एक पहाड़ी पर मात्र 600 गोरखा सैनिकों ने अंग्रेजों की 10 हजार सैनिकों की फौज से लोहा लिया था. खलंगा स्थित किले की रक्षा के लिए लड़ रहे गोरखा सैनिकों ने एक हजार से भी ज्यादा अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया था. गोरखा सैनिकों के पास इस युद्ध में हथियारों के नाम पर सिर्फ खुखरियां ही थीं.
जबकि अंग्रेजों की फौज बंदूकों और तोपों से पूरी तरह लैस थी. इस लड़ाई में अंग्रेज फौज का कमांडर जिलेस्पी भी मारा गया था. इस लड़ाई में गोरखा सैनिकों का नेतृत्व कर रहे बलभद्र थापा शहीद हो गए थे. महिलाओं और बच्चों ने भी इस युद्ध में गोरखा सैनिकों का पूरा साथ दिया था. बुधवार को गोरखा समुदाय के प्रतिनिधि सूर्यविक्रम शाही ने जानकारी देते हुए बताया कि इस युद्ध के बाद गोरखा सैनिकों की वीरता और बहादुरी को अंग्रेजों ने भी माना था. गोरखा सैनिकों की बहादुरी देखते हुए उन्होंने वर्ष 1815 में गोरखा रेजिमेंट की स्थापना की. भारत के साथ ही इंग्लैंड में भी गोरखा रेजिमेंट का होना गोरखा सैनिकों के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है. आपको बता दें कि सहस्त्रधारा रोड पर खलंगा स्मारक का निर्माण अंग्रेजों ने ही करवाया था.
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