उत्तराखंड पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि अपनी संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और खूबसूरती की वजह से भी पूरी दुनिया में जाना जाता है. साल भर में देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां लाखों पर्यटक घूमने के लिए आते हैं उत्तराखंड की संस्कृति और खूबसूरती उन्हें बेहद आकर्षित करती है. अन्य देशों से भी काफी बड़ी संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने के लिए आते हैं. साल भर यहां विदेशी पर्यटक काफी संख्या में देखे जा सकते हैं. उत्तराखंड में कई देवी-देवताओं का वास माना जाता है इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है.
लेकिन पिछले काफी समय से उत्तराखंड पलायन की मार झेल रहा है उत्तराखंड के दुर्गम और ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले लोग नीचे शहरों की तरफ प्रवास कर रहे हैं. इसका कारण दुर्गम क्षेत्रों में अस्पतालों, स्कूलों और अन्य सुविधाओं का ना होना है, जिससे पहाड़ों में रहने वाले लोगों को जीवन यापन करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जीवन यापन करना काफी मुश्किल होता जा रहा है. इसी वजह से पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है. उत्तराखंड सरकार ने पलायन को रोकने के लिए कई तरह के अभियान व योजनाएं चलाई हैं. बावजूद इसके लगातार पलायन की खबरें सामने आ रही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के लगभग 1800 से ज्यादा गांव पलायन के चलते खाली हो चुके हैं. जिन्हें अब घोस्ट विलेज (भूत गाँव) कहा जाने लगा है. पलायन को देखते हुए उत्तराखंड के एक लेखक ने लिखा है कि 'ए सड़क तुम अब आई हो गांव, जब सारा गांव शहर जा चुका है'. कई लोग हैं जो उत्तराखंड से पलायन को रोकने के प्रयास करने में जुटे हैं.
हाल ही में 93.5 रेड एफएम ने उत्तराखंड से पलायन को रोकने के लिए एक मुहिम चलाई थी जिसको नाम दिया गया #dostvillage. जिसके तहत रेड एफएम की टीम ने राजधानी देहरादून से लगभग 40 किलोमीटर दूर पहाड़ियों में स्थित लांगा गांव से मिलकर पलायन की समस्या के बारे में जाना और निर्णय लिया कि पूरे गांव को रंगों से रंगा जाए. इस मुहिम के चलते लांगा गांव की दीवारों पर आकर्षक चित्रकारी की गई और उम्मीद जताई गई कि आकर्षित होकर पर्यटक इस गांव में आएंगे. जिससे गांव के लोगों का उत्साह बढ़ेगा और गांव के लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा.
लेकिन पिछले काफी समय से उत्तराखंड पलायन की मार झेल रहा है उत्तराखंड के दुर्गम और ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले लोग नीचे शहरों की तरफ प्रवास कर रहे हैं. इसका कारण दुर्गम क्षेत्रों में अस्पतालों, स्कूलों और अन्य सुविधाओं का ना होना है, जिससे पहाड़ों में रहने वाले लोगों को जीवन यापन करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जीवन यापन करना काफी मुश्किल होता जा रहा है. इसी वजह से पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है. उत्तराखंड सरकार ने पलायन को रोकने के लिए कई तरह के अभियान व योजनाएं चलाई हैं. बावजूद इसके लगातार पलायन की खबरें सामने आ रही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के लगभग 1800 से ज्यादा गांव पलायन के चलते खाली हो चुके हैं. जिन्हें अब घोस्ट विलेज (भूत गाँव) कहा जाने लगा है. पलायन को देखते हुए उत्तराखंड के एक लेखक ने लिखा है कि 'ए सड़क तुम अब आई हो गांव, जब सारा गांव शहर जा चुका है'. कई लोग हैं जो उत्तराखंड से पलायन को रोकने के प्रयास करने में जुटे हैं.
हाल ही में 93.5 रेड एफएम ने उत्तराखंड से पलायन को रोकने के लिए एक मुहिम चलाई थी जिसको नाम दिया गया #dostvillage. जिसके तहत रेड एफएम की टीम ने राजधानी देहरादून से लगभग 40 किलोमीटर दूर पहाड़ियों में स्थित लांगा गांव से मिलकर पलायन की समस्या के बारे में जाना और निर्णय लिया कि पूरे गांव को रंगों से रंगा जाए. इस मुहिम के चलते लांगा गांव की दीवारों पर आकर्षक चित्रकारी की गई और उम्मीद जताई गई कि आकर्षित होकर पर्यटक इस गांव में आएंगे. जिससे गांव के लोगों का उत्साह बढ़ेगा और गांव के लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा.
This is a famous poem by Poet Mahesh Chandra Punetha from Pithoragarh Uttarakhand.. Please give credit to him.. Thanks..
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