मिशन चंद्रयान-2: चांद से कुछ ही दूरी पर इसरो का विक्रम से संपर्क टूटा. उम्मीद अभी भी कायम.

चांद पर भारत के कदमों के निशां और लहराता तिरंगा देखने का 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना शुक्रवार-शनिवार की रात चांद की दहलीज तक पहुंच गया. देश के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 लांचिंग के बाद 48 दिन में 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय कर रात 1:55 बजे चांद से बिल्कुल करीब तक पहुंच गया था. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस समय तक लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी.
चांद की सतह से 35 किमी ऊपर से सतह पर उतरने की प्रक्रिया का काउंटडाउन 1:38 बजे शुरू हुआ, 13 मिनट 48 सेकंड तक सब कुछ बिल्कुल सही चला. तालियां भी गूंजने लगी, लेकिन आखिरी के डेढ़ मिनट पहले जब विक्रम ठीक 2.1 किमी ऊपर था तभी करीब 1:55 मिनट पर उसका इसरो से संपर्क टूट गया. यह स्थिति लगभग 12 मिनट तक रही. करीब 2:07 बजे वैज्ञानिकों ने जानकारी देते हुए बताया कि संपर्क बहाल करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि 2.18 मिनट पर इसरो प्रमुख के सिवन ने जानकारी देते हुए बताया कि विक्रम से संपर्क टूट गया है. हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो प्रमुख सिवन और उनकी टीम का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं आपने जो किया, वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है. वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए पीएम ने कहा कि आप छोटी-छोटी गलतियों से ही सीखते हैं. पूरे देश को आप पर गर्व है, आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. उन्होंने ट्वीट किया, 'चंद्रयान -2 के साथ इसरो की उपलब्धि ने अब तक हर भारतीय को गौरवान्वित किया है. पूरा देश हमारे प्रतिबद्ध और मेहनती वैज्ञानिकों के साथ खड़ा है. गृह मंत्री ने भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी.
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले ही बताया था कि लैंडिंग के समय अंतिम 15 मिनट सबसे जटिल होंगे. उन्होंने बताया कि बहुत तेज गति से चल रहे विक्रम को चांद की सतह तक सफलतापूर्वक उतारना सबसे बड़ी चुनौती है. विक्रम ने आखिरी वक्त में अपनी दिशा बदल दी जिसके बाद उससे संपर्क टूट गया.

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