बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा पर पहुंचा उत्तराखंड का जवान. परिवार सदमे में. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
कश्मीर के गुलमर्ग में तैनात देहरादून निवासी हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा में पहुंच गए. घर पर यह खबर आने के बाद से पूरे परिवार में कोहराम मच गया है. हर पल अनहोनी की आशंका से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. सेना का कहना है कि हवलदार राजेंद्र की तलाश की जा रही है. जबकि उनका परिवार चाहता है कि सरकार विंग कमांडर अभिनंदन की तरह उनके बेटे को भी अपने वतन वापस लाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए.
वर्ष 2002 में देहरादून के अंबीवाला सैनिक कॉलोनी निवासी राजेंद्र सिंह नेगी ने 11 गढ़वाल राइफल्स ज्वाॅइन की थी. अक्तूबर में वह एक माह की छुट्टी बिताने के लिए देहरादून आए थे. उसके बाद नवंबर में वह वापस लौट गए थे. राजेंद्र कश्मीर के गुलमर्ग में बर्फीले इलाके में तैनात थे. आठ जनवरी को अचानक उनकी यूनिट से राजेंद्र की पत्नी राजेश्वरी के पास फोन आया. फोन सुनकर उनके होश उड़ गए. फोन में उन्हें बताया गया कि हवलदार राजेंद्र सिंह मिसिंग हैं. उनकी तलाश की जा रही है, लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चल पा रहा है. एक-दो दिन इंतजार करने के बाद जब परिजनों ने फिर से यूनिट से संपर्क किया गया तो पता चला कि वह ड्यूटी के दौरान बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा में चले गए हैं. जहां से सीधे बचाव कर पाना नामुमकिन है. फिर भी सेना के स्तर से पूरी कोशिश की जा रही है.
इस खबर के बाद से ही परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है. परिवार अब हर पल राजेंद्र के वापस लौटने का इंतजार कर रहा है. फोन पर बजने वाली हर घंटी राजेंद्र की खुशखबरी का अहसास कराती है, लेकिन मन में किसी अनहोनी की आशंका भी बनी रहती है. हवलदार राजेंद्र सिंह के भाई कुंदन का कहना है कि वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार विंग कमांडर अभिनंदन की तरह उनके भाई को भी वापस लाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए. जवान राजेंद्र सिंह नेगी के तीन बच्चे हैं.
वर्ष 2002 में देहरादून के अंबीवाला सैनिक कॉलोनी निवासी राजेंद्र सिंह नेगी ने 11 गढ़वाल राइफल्स ज्वाॅइन की थी. अक्तूबर में वह एक माह की छुट्टी बिताने के लिए देहरादून आए थे. उसके बाद नवंबर में वह वापस लौट गए थे. राजेंद्र कश्मीर के गुलमर्ग में बर्फीले इलाके में तैनात थे. आठ जनवरी को अचानक उनकी यूनिट से राजेंद्र की पत्नी राजेश्वरी के पास फोन आया. फोन सुनकर उनके होश उड़ गए. फोन में उन्हें बताया गया कि हवलदार राजेंद्र सिंह मिसिंग हैं. उनकी तलाश की जा रही है, लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चल पा रहा है. एक-दो दिन इंतजार करने के बाद जब परिजनों ने फिर से यूनिट से संपर्क किया गया तो पता चला कि वह ड्यूटी के दौरान बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा में चले गए हैं. जहां से सीधे बचाव कर पाना नामुमकिन है. फिर भी सेना के स्तर से पूरी कोशिश की जा रही है.
इस खबर के बाद से ही परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है. परिवार अब हर पल राजेंद्र के वापस लौटने का इंतजार कर रहा है. फोन पर बजने वाली हर घंटी राजेंद्र की खुशखबरी का अहसास कराती है, लेकिन मन में किसी अनहोनी की आशंका भी बनी रहती है. हवलदार राजेंद्र सिंह के भाई कुंदन का कहना है कि वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार विंग कमांडर अभिनंदन की तरह उनके भाई को भी वापस लाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए. जवान राजेंद्र सिंह नेगी के तीन बच्चे हैं.
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