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बद्रीनाथ: इतिहास में पहली बार तप्तकुंड का पानी सूखा. श्रद्धालु पूजा से पहले इस जल से करते थे स्नान.

बद्रीनाथ: इतिहास में पहली बार तप्तकुंड का पानी सूखा. श्रद्धालु पूजा से पहले इस जल से करते थे स्नान.


जोशीमठ(चमोली): इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि बद्रीनाथ धाम के ऐतिहासिक तप्तकुंड में पानी नहीं है. धाम की यात्रा करने के लिए आने वाले श्रद्धालु पूजा से पहले इसी तप्तकुंड के गर्म पानी में स्नान करते थे. यह चमत्कार ही है कि इस कुंड में प्राकृतिक रूप से हर समय गर्म पानी आता है. दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए मंदिर समिति द्वारा पानी के मूल स्रोत को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से यह कुंड सूख गया है.
बद्रीनाथ: इतिहास में पहली बार तप्तकुंड का पानी सूखा. श्रद्धालु पूजा से पहले इस जल से करते थे स्नान.
मंदिर समिति का कहना है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए एहतियातन तप्तकुंड को खाली कराया गया है. अब पानी के मूल स्रोत को बंद करके पानी की निकासी कुंड के बाहर से सीधे अलकनंदा में कराई जा रही है. आपको बता दें कि बद्रीनाथ धाम के दर्शन से पहले श्रद्धालु इसी तप्तकुंड में स्नान करते हैं. जल्द ही चारधाम यात्रा शुरु होने वाली है, जिसे देखते हुए बदरीनाथ धाम के कर्मचारियों ने एहतियात के तौर पर तप्तकुंड को फिलहाल सुखा दिया है. धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि यह धाम में पहली बार देखने को मिल रहा है कि तप्तकुंड सूखा पड़ा हुआ है.
बद्रीनाथ: इतिहास में पहली बार तप्तकुंड का पानी सूखा. श्रद्धालु पूजा से पहले इस जल से करते थे स्नान.
इस कुंड में सैकड़ों श्रद्धालु एक साथ स्नान करते थे, जिसको ध्यान में रखते हुए कुंड से बाहर तीन धारों में गर्म पानी छोड़ा जा रहा है. इन धारों पर श्रद्घालु स्नान कर सकते हैं.
आपको बता दें कि तप्तकुंड में स्नान करने का अपना ही महत्व है. इस कुंड में स्वयं ही गर्म पानी निकलता है जिसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है. कहा जाता है कि इस पानी में गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण इस कुंड के पानी में स्नान करने से चर्म रोगों से निजात मिलती है. यही भी कारण है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्री इस कुंड में एक बार स्नान जरूर करते हैं.

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