प्रसव पीड़ा से चार घंटे तक तड़पती रही महिला. एसटीएच में नहीं हुआ इलाज. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

प्रसव पीड़ा से चार घंटे तक तड़पती रही महिला. एसटीएच में नहीं हुआ इलाज. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...


हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल में आए दिन अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं. प्राचार्य के फोन करने के बाद भी डाक्टर उनकी सुनने को तैयार नहीं है. अस्पताल में एक महिला चार घंटे तक प्रसव पीड़ा से कराहती रही मगर एनस्थीसिया के डाक्टर नहीं आए. बाद में महिला के परिजनों ने महिला अस्पताल में प्रसव कराया. प्रसव पीड़ा होने के कारण शीशमहल निवासी 35 वर्षीय कंचन को परिजन सुबह सात बजे एसटीएच लेकर पहुंचे. महिला का एसटीएच से इलाज चल रहा था. प्रसव के लिए स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के डाक्टर तैयार थे. महिला के एक रिश्तेदार ने बताया कि प्रसव सर्जरी करके होना था. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के डाक्टरों ने एनस्थीसिया के डाक्टरों को फोन किया लेकिन उन्होंने ना ही इमरजेंसी ओटी की चाभी भेजी और न खुद आए. इसकी जानकारी राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा को दी गई, उन्होंने भी फोन किया मगर उसके बाद भी एनस्थीसिया के डाक्टर नहीं आए. जिसके बाद 11 बजे मरीज को लेकर महिला अस्पताल गए और वहां डिलीवरी कराई. महिला के साथ आए परिजनों ने बताया कि एसटीएच में प्रसव का एक और मामला आया था, उसकी हालत गंभीर थी और डाक्टर उसको देखने लग गए. इस पर प्राचार्य ने तर्क दिया कि एक प्रसव तो एसटीएच में किया गया है.
प्रसव पीड़ा से चार घंटे तक तड़पती रही महिला. एसटीएच में नहीं हुआ इलाज. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
जब उनसे पूछा गया कि एक प्रसव के लिए ओटी बंद रही और दूसरा प्रसव करने के लिए कैसे ओटी खोल दी गई तो वे चुप हो गए. फिर उन्होंने तर्क दिया कि नहीं दूसरी महिला का प्रसव दूसरी ओटी में हुआ. सवाल यह उठता है कि दूसरी महिला का प्रसव जब दूसरी ओटी में हुआ तो पहली महिला का प्रसव दूसरी ओटी में क्यों नहीं हो सकता था?

इमरजेंसी ओटी में कोविड 19 पॉजिटिव महिला आई थी,जिस वजह से उसको सैनिटाइज किया गया था इसलिए ओटी 48 घंटे से पहले नहीं खोली जा सकती थी. एनस्थीसिया विभाग के पीजी जेआर आ गए थे.
-डॉ. सीपी भैसोड़ा प्राचार्य राजयकी मेडिकल कालेज

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