पांच वर्षों बाद फिर शुरू हुई कैलास मानसरोवर यात्रा, पहले जत्थे ने किए दिव्य दर्शन
पांच साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कैलास मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ हुआ और पहले दल ने सफलतापूर्वक कैलास के दिव्य दर्शन कर लिए हैं। यात्रियों के चेहरों पर अद्भुत शांति और आस्था की चमक देखने को मिल रही है। उनके अनुसार कैलास मानसरोवर की अनुभूति को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है — यह एक ऐसी ऊर्जा है जो भीतर से बदल देती है।
पहले जत्थे के कुछ यात्रियों ने बताया कि इस बार दक्षिण दिशा में बर्फ की कमी के चलते मौसम बेहद सुहावना रहा और महादेव के धाम के अत्यंत स्पष्ट और भव्य दर्शन प्राप्त हुए। यात्रा के दौरान पिथौरागढ़ जनपद में सात दिन बिताने वाले यात्रियों को हर जगह गर्मजोशी से स्वागत मिला, जिसने उन्हें भावविभोर कर दिया।
शनिवार की शाम जब दल चौकोड़ी पहुंचा तो वहां का दृश्य उत्सव जैसा था। फूल-मालाओं से लदे, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर, स्थानीय लोगों ने दिल खोलकर यात्रियों का स्वागत किया। कुमाऊंनी वेशभूषा में सजी महिलाओं ने टीका लगाकर पारंपरिक तरीके से अगवानी की। वहीं हिमालयन स्कूल के विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर माहौल को और खास बना दिया।
इस मौके पर एसडीएम आशीष जोशी, तहसीलदार आशीष रौतेला, पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक दीपचंद्र पंत, थानाध्यक्ष महेश जोशी समेत कई स्थानीय अधिकारी मौजूद रहे। अगले दिन रविवार को यह यात्रा दल अल्मोड़ा की ओर रवाना हो गया।
यात्रियों के अनुभव उनके शब्दों में:
मनीष उपाध्याय (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश):
"यह यात्रा मेरे लिए बेहद खास रही। पांच वर्षों बाद यात्रा फिर से शुरू हुई और मुझे पहले दल में शामिल होने का सौभाग्य मिला। मौसम सुहाना था और दर्शन अत्यंत भव्य। हर स्थान पर व्यवस्थाएं बहुत अच्छी थीं।"
संजीव रंजन (दिल्ली):
"कैलास मानसरोवर के दर्शन ने मन को एक अद्वितीय आनंद से भर दिया है। सरकार और केएमवीएन दोनों की व्यवस्थाएं सराहनीय थीं। सफाई, भोजन और बाकी इंतजाम बेहतर तरीके से किए गए थे। इस अनुभव को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।"
मृणाल कृष्णा (गुजरात):
"यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित और सुखद रही। हम सभी यात्री सकुशल और प्रसन्नचित्त लौटे हैं। जगह-जगह हुए स्वागत ने हमारे उत्साह को और बढ़ाया। कैलास के दर्शन एक अलौकिक अनुभव रहा।"
विमल सेठ (दिल्ली):
"कैलास मानसरोवर के दर्शन करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी इच्छा थी, जो अब पूरी हो गई है। इस यात्रा के हर पल को शब्दों में पिरोना मुश्किल है। जो अपनापन मिला, वो भावनात्मक रूप से छू गया।"
सजय गुंज्याल (एलआईओ):
"इस बार यात्रा में सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला। भारत के क्षेत्र में सड़कों और अधोसंरचना में बेहतरीन विकास हुआ है जिससे यात्रा अब अधिक आरामदायक और सुरक्षित हो गई है। हालांकि तिब्बत में कुछ स्थानों पर शौचालयों की कमी महसूस हुई, जिसे भारत और चीन दोनों को मिलकर सुधारना होगा।"
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