वीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर माधो सिंह का निधन. पाकिस्तान के खिलाफ जंग में थे शामिल. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

वयोवृद्ध गौरव सेनानी ऑनरेरी कैप्टन (सूबेदार मेजर) माधो सिंह का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. मंगलवार देर रात उन्होंने बरेली के श्रीराम मूर्ति अस्पताल में अंतिम सांस ली. माधो सिंह ने 1947-48 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में वीरता और साहस का परिचय दिया था. उनका पराक्रम देखते हुए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया था. रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. बागेश्वर जिले के अमस्यारी कोट क्षेत्र के मूल निवासी कैप्टन माधो सिंह 1968 में सेना से रिटायर होने के बाद हल्द्वानी के कुसुमखेड़ा में बस गए थे. उनके बड़े बेटे पावर कारपोरेशन से रिटायर रंजीत सिंह बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को उनकी तबियत अचानक खराब हो गई थी.
इस दौरान उन्हें भोटिया पड़ाव स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए. लेकिन डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद उन्हें बरेली स्थित श्रीराम मूर्ति अस्पताल ले जाया गया. बताया जा रहा है कि उनका ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया था. मंगलवार की देर रात करीब साढ़े तीन बजे उनका निधन हो गया.

अपने ताऊ के साथ पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी थी जंग
मेजर (रि.) बीएस रौतेला ने बताया कि माधव सिंह सेना की हैदराबाद रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. जब पैरा बटालियन का गठन हुआ तब वह पैरा कुमाऊं में शामिल हो गए थे. माधो सिंह ने अपने ताऊ जी धन सिंह के साथ पाकिस्तान के खिलाफ जंग में हिस्सा लिया था. इस युद्ध में माधो सिंह के ताऊ वीरगति को प्राप्त हो गए थे. आजादी के बाद पाकिस्तानी कश्मीर में घुस आए थे. उनको खदेड़ने के लिए ऑपरेशन चलाया गया था. इस दौरान माधो सिंह अपनी पलटन के साथ पुंछ क्षेत्र में तैनात थे. माधो सिंह के ताऊ धन सिंह भी उनके साथ शामिल थे. पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में दोनों ही जांबाजों ने अदम्य साहस का परिचय दिया. लेकिन इस दौरान मातृभूमि की रक्षा करते हुए धन सिंह शहीद हो गए. युद्ध समाप्ति के बाद दोनों ही वीर जवानों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

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