आज शुक्रवार 10 मई को बह्ममुहूर्त में बद्रीनाथ धाम के कपाट सवा चार बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. बद्रीनाथ के कपाट खुलने पर यहां छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन करने के लिए देश-विदेश के तीर्थयात्रियों का बद्रीनाथ धाम में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. धाम के कपाट खुलने के साथ ही बदरीनाथ धाम की यात्रा भी शुरू हो गई है.
इससे पहले बृहस्पतिवार को पांडुकेश्वर के योग ध्यान मंदिर से बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और बदरीनाथ के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मणों की अगुवाई में भगवान उद्धव व कुबेर जी की डोली एवं आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ा) दोपहर बाद बदरीनाथ धाम में पहुंचीं. इस मौके पर बदरीनाथ-केदरनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, बदरीनाथ के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह के साथ ही अन्य बीकेटीसी कर्मचारियों व तीर्थयात्रियों द्वारा रावल, शंकराचार्य गद्दीस्थल व गाडू घड़ा का फूल-मालाओं और बदरी विशाल के जयकारों के साथ स्वागत किया गया.
इससे पहले बृहस्पतिवार को पांडुकेश्वर के योग ध्यान मंदिर से बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और बदरीनाथ के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मणों की अगुवाई में भगवान उद्धव व कुबेर जी की डोली एवं आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ा) दोपहर बाद बदरीनाथ धाम में पहुंचीं. इस मौके पर बदरीनाथ-केदरनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, बदरीनाथ के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह के साथ ही अन्य बीकेटीसी कर्मचारियों व तीर्थयात्रियों द्वारा रावल, शंकराचार्य गद्दीस्थल व गाडू घड़ा का फूल-मालाओं और बदरी विशाल के जयकारों के साथ स्वागत किया गया.
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