पूरे 10 साल से लापता विक्रम की बुधवार की सुबह 9:25 बजे, घर वापसी पर हुई तो इस मुलाकात के साक्षी दोनों भाई, भाभी, बेटे, बहु और पूरा परिवार रहा. इस दौरान हर किसी की आंखों में खुशी के आंसू दिखाई दिए. सभी ने मौके पर पूजा-अर्चना और मंगल गीत गाकर विक्रम का स्वागत किया. दरअसल आईटीबीपी कानपुर में तैनात एसआई विक्रम सिंह दो फरवरी 2010 से लापता थे. बुधवार को सुराग मिलने पर दिल्ली से उनके दो रिश्तेदार नरेश माहरा और सुरेश सिंह विक्रम सिंह को लेकर डुंगरासेठी गांव पहुंचे. विक्रम सिंह को देखकर उनकी पत्नी मंजू, बड़े भाई आईटीबीपी के रिटायर्ड अधिकारी डूंगर सिंह व नारायण सिंह, भाभी जैमंती देवी, गीता देवी, बेटे संदीप, प्रदीप आदि काफी खुश हो गए. परिजनों का कहना है कि 10 साल का यह वनवास खत्म हो गया. लेकिन यह समय पूरे परिवार के लिए तकलीफों भरा रहा. इस दौरान खोजबीन, पूछताछ और तमाम तरह की धार्मिक गतिविधियों में परिजनों की मोटी रकम भी खर्च हुई.
इतना सब होने के बाद भी कभी भी उन्होंने विक्रम के सकुशल वापसी की उम्मीदें नहीं छोड़ी. परिजनों का कहना है कि कि इस दौरान आईटीबीपी की ओर से उन्हें विक्रम सिंह की जमा राशि के तीन लाख रुपये जरूर मिले. परिजनों का कहना यह भी है कि उनके स्वास्थ्य को लेकर उन्हें डॉक्टरों को दिखाया जाएगा. साथ ही परिजनों द्वारा फरवरी 2010 में की गई गुमशुदगी की रिपोर्ट को भी निरस्त कराया जाएगा. अपने गांव से विक्रम आखिरी बार 20 दिसंबर 2009 को निकले थे. उनकी घर वापसी पूरे नौ साल 11 महीने बाद हुई है. 58 साल के हो चुके विक्रम सिंह का कहना है कि जब अंतिम बार छुट्टी पूरी होने के बाद वे नौकरी के लिए निकले थे उस समय गांव में रोड नहीं थी. काफी हिस्सा पैदल चल कर जाना पड़ता था. लेकिन अब जब वे घर पहुंचे हैं तो उनके घर तक सड़क पहुंच गई है. इन 10 वर्षों के दौरान दोनों बेटियों रेखा, हेमा और एक बेटे संदीप का विवाह हो चुका है. जबकि दूसरा बेटा प्रदीप अभी पढ़ाई कर रहा है.
इन सब काम में उनके बड़े भाइयों और रिश्तेदारों ने विक्रम के परिजनों की मदद की. विक्रम सिंह को अभी कई चीजें ठीक से याद नहीं है. विक्रम सिंह को पिछले दस वर्षों का घटनाक्रम याद नहीं है. इस दौरान विक्रम कहां-कहां गए, कैसे रहे, कहां खाया और क्या-क्या किया यह कुछ भी उन्हें याद नहीं है. इतने वर्षों बाद जब रिश्तेदारों ने उन्हें खोज निकाला तो उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, कपड़े गंदे थे और वह बेसुध हाल में थे. विक्रम के परिजन ने जानकारी देते हुए बताया कि अवकाश के बाद 20 दिसंबर 2009 को आईटीबीपी कानपुर पहुंचने के बाद जनवरी 2010 के आखिर में विभागीय कार्य से चंडीगढ़ उच्च न्यायालय जाना पड़ा. वहां से एक फरवरी को विक्रम वापस कानपुर आए. आईटीबीपी पहुंचने के बाद दो फरवरी की सुबह को विक्रम अपने बिस्तर से गायब मिले. परिजन बताते हैं कि उस समय अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि सुबह करीब पांच बजे चाय देने के लिए पहुंचे कर्मी ने उन्हें उनके गायब होने की सूचना दी थी.
इतना सब होने के बाद भी कभी भी उन्होंने विक्रम के सकुशल वापसी की उम्मीदें नहीं छोड़ी. परिजनों का कहना है कि कि इस दौरान आईटीबीपी की ओर से उन्हें विक्रम सिंह की जमा राशि के तीन लाख रुपये जरूर मिले. परिजनों का कहना यह भी है कि उनके स्वास्थ्य को लेकर उन्हें डॉक्टरों को दिखाया जाएगा. साथ ही परिजनों द्वारा फरवरी 2010 में की गई गुमशुदगी की रिपोर्ट को भी निरस्त कराया जाएगा. अपने गांव से विक्रम आखिरी बार 20 दिसंबर 2009 को निकले थे. उनकी घर वापसी पूरे नौ साल 11 महीने बाद हुई है. 58 साल के हो चुके विक्रम सिंह का कहना है कि जब अंतिम बार छुट्टी पूरी होने के बाद वे नौकरी के लिए निकले थे उस समय गांव में रोड नहीं थी. काफी हिस्सा पैदल चल कर जाना पड़ता था. लेकिन अब जब वे घर पहुंचे हैं तो उनके घर तक सड़क पहुंच गई है. इन 10 वर्षों के दौरान दोनों बेटियों रेखा, हेमा और एक बेटे संदीप का विवाह हो चुका है. जबकि दूसरा बेटा प्रदीप अभी पढ़ाई कर रहा है.
इन सब काम में उनके बड़े भाइयों और रिश्तेदारों ने विक्रम के परिजनों की मदद की. विक्रम सिंह को अभी कई चीजें ठीक से याद नहीं है. विक्रम सिंह को पिछले दस वर्षों का घटनाक्रम याद नहीं है. इस दौरान विक्रम कहां-कहां गए, कैसे रहे, कहां खाया और क्या-क्या किया यह कुछ भी उन्हें याद नहीं है. इतने वर्षों बाद जब रिश्तेदारों ने उन्हें खोज निकाला तो उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, कपड़े गंदे थे और वह बेसुध हाल में थे. विक्रम के परिजन ने जानकारी देते हुए बताया कि अवकाश के बाद 20 दिसंबर 2009 को आईटीबीपी कानपुर पहुंचने के बाद जनवरी 2010 के आखिर में विभागीय कार्य से चंडीगढ़ उच्च न्यायालय जाना पड़ा. वहां से एक फरवरी को विक्रम वापस कानपुर आए. आईटीबीपी पहुंचने के बाद दो फरवरी की सुबह को विक्रम अपने बिस्तर से गायब मिले. परिजन बताते हैं कि उस समय अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि सुबह करीब पांच बजे चाय देने के लिए पहुंचे कर्मी ने उन्हें उनके गायब होने की सूचना दी थी.
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