कालाढूंगी के जंगल में मिसाइल की तरह दिखने वाला उपकरण बरामद हुआ है. जिसके मिलने पर स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. यह उपकरण ग्रामीणों ने जंगल में पड़ा हुआ देखा, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन को इसकी सूचना दी गई. वन विभाग और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच कर उक्त उपकरण की जांच कर रही है.
बताया जा रहा है कि यह उपकरण निहाल के जंगल में मिला है. फिलहाल अभी इस उपकरण के बारे में कुछ पता नहीं है कि यह कहां से आया है.
आपको बता दें कि पिछले साल जसपुर के पतरामपुर चौकी परिसर में वर्ष 2004 से दबी 555 मिसाइलों को हजीरों गांव की फीका नदी क्षेत्र में नष्ट किया गया था. इन मिसाइलों को सेना की टीम ने नष्ट किया था. जिसमें 11 दिन का समय लगा था. पुलिस और प्रशासन ने दिसंबर 2004 में हुए विस्फोट के बाद 555 मिसाइलें दबाने के बाद से चुप्पी साध ली थी. यहां मिसाइलें दबे होने से आसपास के पांच गांवों में लगभग 20 हजार की आबादी खौफ के साये में जी रही थी. 7 जनवरी 2015 को मिसाइलों को डिफ्यूज करने के लिए एनएसजी की टीम काशीपुर आई थी. मिसाइलों को यहां से पतरामपुर चौकी में दबाया गया था. ग्रामीणों ने वर्ष 2007 में पतरामपुर चौकी भवन के लोकार्पण के लिए आए तत्कालीन एसएसपी नीलेश आनंद भरणे के समक्ष यह मामला उठाया था.
बताया जा रहा है कि यह उपकरण निहाल के जंगल में मिला है. फिलहाल अभी इस उपकरण के बारे में कुछ पता नहीं है कि यह कहां से आया है.
आपको बता दें कि पिछले साल जसपुर के पतरामपुर चौकी परिसर में वर्ष 2004 से दबी 555 मिसाइलों को हजीरों गांव की फीका नदी क्षेत्र में नष्ट किया गया था. इन मिसाइलों को सेना की टीम ने नष्ट किया था. जिसमें 11 दिन का समय लगा था. पुलिस और प्रशासन ने दिसंबर 2004 में हुए विस्फोट के बाद 555 मिसाइलें दबाने के बाद से चुप्पी साध ली थी. यहां मिसाइलें दबे होने से आसपास के पांच गांवों में लगभग 20 हजार की आबादी खौफ के साये में जी रही थी. 7 जनवरी 2015 को मिसाइलों को डिफ्यूज करने के लिए एनएसजी की टीम काशीपुर आई थी. मिसाइलों को यहां से पतरामपुर चौकी में दबाया गया था. ग्रामीणों ने वर्ष 2007 में पतरामपुर चौकी भवन के लोकार्पण के लिए आए तत्कालीन एसएसपी नीलेश आनंद भरणे के समक्ष यह मामला उठाया था.
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