मुनस्यारी-मिलम सड़क पर बीआरओ ने पांच दिन में फिर से तैयार किया पुल. 22 जून को पोकलैंड ले जा रहे ट्राला के गुजरने से टूटा था पुल.
मुनस्यारी-मिलम सड़क पर बीआरओ ने पांच दिन में फिर से तैयार किया पुल. 22 जून को पोकलैंड ले जा रहे ट्राला के गुजरने से टूटा था पुल.
उत्तराखंड में मुनस्यारी-मिलम सड़क पर महज पांच दिन में बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) की टीम ने भारत को चीन सीमा से जोड़ने वाला नया पुल तैयार कर दिया है. शनिवार को पुल के निर्माण के बाद उस पर पोकलैंड, ड्रोजर और बीआरओ के ट्रक को चलाकर ट्रायल लिया गया. बीआरओ के अधिकारियों के अनुसार पुल का निर्माण सही तरीके से बनकर तैयार हो गया है. इस पर जल्द ही वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी. आपको बता दें कि सैनरगाड़ नदी पर बना पुल 22 जून को पोकलैंड ले जा रहे ट्रक के गुजरते समय टूट गया था. जिसकी वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. पुल के महत्व को देखते हुए बीआरओ ने 23 जून से नया पुल बनाने का काम शुरू कर दिया था. पुल के निर्माण से चीन सीमा के लिए आवागमन आसान हो जाएगा. इसके अलावा मुनस्यारी के मल्ला जोहार क्षेत्र के ग्रामीणों को भी इससे राहत मिल सकेगी. सेनरगाड़ में बना यह पुल इसलिए भी खास है क्योंकि इसी रास्ते से सेना और आईटीबीपी के चीन सीमा पर बनी पोस्टों पर रसद और खाद्य सामग्री पहुंचाई जाती है. पुल के टूटने से सेना को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा था. वहीं, पुल के टूटने के बाद से सीमांत के लोग भी खासे परेशान थे. पुल के टूटने के बाद से सीमांत के 10 माइग्रेशन गांव मिलम, बिल्जू, बुर्फू, तूला, पांछू, गनघर, रालम, खिलांच, लास्पा, रिलकोट, लास्पा, बौगडियार और रालम सहित कई अन्य गांवों का संपर्क भी जिला मुख्यालय से पूरी तरह टूट गया था. मानसून काल से पूर्व सीमांत के ग्रामीण जरूरतमंद चीजों को गांवों तक काफी मुश्किल से पहुंचा पाते थे. लेकिन सड़क और पुल के बनने के बाद लोगों को आवश्यक समान को गांवों तक पहुंचाने में काफी आसानी हो रही थी.
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