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कुमाऊं के इस मंदिर में हुआ था भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह

बागेश्वर जिले के कस्तूरी घाटी में गोमती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक व पौराणिक बैजनाथ मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का अटूट केंद्र है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. कहा जाता है कि बैजनाथ पूरे भारत में एक अकेला ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती के लिंग रूप के बजाय मूर्त रूप की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि यहां मां पार्वती की 5 फीट ऊंची श्याम रंग की अष्टधातु से निर्मित आदमकद मूर्ति स्थापित है.
कहा जाता है कि इसी स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. आपको बता दें कि स्कंद पुराण के मानस खंड में बैजनाथ का वर्णन किया गया है जिसमें भगवान शिव ने मां पार्वती से कहा है "हिमालय क्षेत्र में ऋषि मुनियों के आश्रमों के पास से गोविंद चरण से निकलती गोमती और गरुड़ गंगा के संगम के पास कुछ ही दूरी पर एक शिवलिंग स्थित है जो बैजनाथ नाम से प्रसिद्ध है. हे पार्वती हमारा विवाह यहीं हुआ था. जिसको देखने के लिए भगवान ब्रह्मा व विष्णु सहित पूरी देव मंडली यहां आई थी." भगवान शिव ने यह भी बताया है कि हमारे पुत्र कार्तिकेय ने यही जन्म लिया था. महाशिवरात्रि के दिन यहां शिव की पूजा व दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड़ उपस्थित रहती है.

एक ही रात में हुआ था मंदिर समूह का निर्माण
कई लोग इस बात को जानकर हैरान हो जाते हैं कि बैजनाथ स्थित शिव पार्वती के मंदिर का निर्माण एक लाख कत्यूरी वीरों ने एक ही रात में कर दिया था. इस जगह पर मंदिरों का काफी बड़ा समूह स्थित है. कुछ लोगों का मानना है की इस मंदिर समूह के निर्माण के बाद कत्यूरी राजा तैलिहाट गांव में मंदिर निर्माण के लिए गए. बताया जाता है कि यहां एक मंदिर का निर्माण करते हुए सुबह हो गई थी तब से ही यह मंदिर अधूरा बना हुआ है. इतिहासकारों ने भी इस बात की जानकारी दी है कि कत्युरों से पहले यहां बौद्ध मठ हुआ करता था. यहां पर बंद कमरे में भगवान बुद्ध की एक खंडित मूर्ति में स्थित है आपको बता दें कि बैजनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं आठवीं शताब्दी में हुआ था.

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