विवाहित बेटियों के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला. मृतक आश्रित के तौर पर मिल सकेगी सरकारी नौकरी

विवाहित बेटियों के लिए नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लिया है. हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में शामिल विवाहित बेटियों को सरकारी नौकरी दिए जाने के मामले में विवाहित बेटी को भी परिवार का सदस्य माना है. कोर्ट ने कहा है कि उन्हें भी मृत आश्रित कोटे में नौकरी पाने की अधिकार है. मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की फुल बेंच के समक्ष बुधवार को मामले की सुनवाई हुई. आपको बता दें कि चमोली निवासी संतोष किमोठी की याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में उनके द्वारा कहा गया था कि उनके पिता ने सेवाकाल के दौरान ही उनकी शादी कर दी थी. शादी के कुछ समय बाद ही उनके पिता की आकस्मिक मौत हो गई थी.
उनके परिवार में पिता के अलावा कोई भी वरिष्ठ व्यक्ति कमाई करने वाला नहीं है. जिस कारण उनके परिवार वालों की सही से देखभाल नहीं हो पा रही है. याचिकाकर्ता ने मृत आश्रित कोटे की नौकरी उनको देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा सरकार को आदेश दिया गया था कि विवाहित बेटियों को भी सरकारी नौकरियों में परिवार की देखभाल के लिए मृतक आश्रित कोटे की नौकरी दी जाए. इसके खिलाफ सरकार द्वारा विशेष अपील दायर की गई थी. एकलपीठ के इस आदेश को मुख्य न्यायधीश द्वारा सुनवाई के लिए लार्जर बेंच को रेफर कर दिया गया था. लार्जर बेंच के सामने यह सवाल था कि विवाहित बेटियों को सरकारी नौकरी में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी दी जाए या नहीं. पूर्व में लार्जर बेंच ने सुनवाई के बाद निर्णय को सुरक्षित रख लिया गया था. लेकिन अब दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने मृतक आश्रित कोटे में शामिल विवाहित पुत्रियों को सरकारी नौकरी दिए जाने के मामले में विवाहित बेटी को भी परिवार का सदस्य मानते हुए सरकारी नौकरी का हकदार बताया है.

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