हल्द्वानी: 31 को होना था रिटायरमेंट, घर पहुंचा पार्थिव शरीर. गलवां घाटी में झड़प में घायल हुए जवान ने ली अंतिम सांस.

हल्द्वानी: 31 को होना था रिटायरमेंट, घर पहुंचा पार्थिव शरीर. गलवां घाटी में झड़प में घायल हुए जवान ने ली अंतिम सांस. 


हल्द्वानी: भारत-चीन सीमा विवाद के चलते गलवां घाटी में हुई झड़प के दौरान घायल कुमाऊं रेजीमेंट के हवलदार बिशन सिंह भी शहीद हो गए हैं. बीते तीन महीने से उनका इलाज चल रहा था लेकिन 15 अगस्त को उन्होंने सेना के चंडीगढ़ स्थित कमांड अस्पताल में आंखिरी सांस ली. रविवार को हल्द्वानी के रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. बिशन सिंह का पार्थिव शरीर लेकर पहुँचे सैनिकों ने बताया कि उनका 31 अगस्त को बिशन सिंह रिटायर होने वाले थे.

31 को होना था रिटायरमेंट, घर पहुंचा पार्थिव शरीर. गलवां घाटी में झड़प में घायल हुए जवान ने ली अंतिम सांस.
रिटायर होने से एक महीने पहले ही कागज तैयार करने के लिए अवकाश दिया जाता है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के कारण बिशन सिंह को अवकाश नहीं मिला. रविवार सुबह शहीद बिशन सिंह के पार्थिव शरीर को जब सेना के वाहन से चित्रशिला घाट ले जाने लगे, तो उनके पार्थिव शरीर को बेटे मनोज के साथ बेटी मनीषा ने भी कंधा दिया. इस दौरान वह फूट-फूट कर रोने लगे. वाहन में बैठने के बाद जब मनोज ने मां सती देवी और बहन मनीषा को रोते देखा तो हौसला रखने को कहा.
31 को होना था रिटायरमेंट, घर पहुंचा पार्थिव शरीर. गलवां घाटी में झड़प में घायल हुए जवान ने ली अंतिम सांस.
43 वर्षीय हवलदार बिशन सिंह पिथौरागढ़ जिले के माड़ीधामी बंगापानी (मुनस्यारी) के मूल निवासी थे. वर्तमान में उनका परिवार हल्द्वानी में कमलुआगांजा रोड पर विशेष टाउनशिप गली चार में किराए के कमरे में रहता है. छोटे भाई रिटायर्ड सैनिक जगत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बिशन सिंह 17 कुमाऊं रेजीमेंट में थे. वर्तमान में वह गलवां घाटी में तैनात थे. इस दौरान चीन और भारतीय सेना के बीच सीमा विवाद के चलते झड़प हो गई. जिसमें बिशन सिंह घायल हो गए थे. उस समय उन्हें लेह के अस्पताल मे भर्ती कराया गया था. हालत ज्यादा बिगड़ने पर 8 जुलाई को उन्हें कमांड अस्पताल चंडीगढ़ भेज दिया गया, जहां 15 अगस्त को वह जिंदगी की जंग हार गए. कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार बच्ची सिंह और सिपाही नारायण सिंह अपने साथी के पार्थिव शरीर को लेकर एंबुलेंस से देर रात करीब डेढ़ बजे हल्द्वानी पहुंचे. पार्थिव शरीर को शहीद के छोटे भाई जगत सिंह के विशेष टाउनशिप स्थित आवास में रखा गया.
31 को होना था रिटायरमेंट, घर पहुंचा पार्थिव शरीर. गलवां घाटी में झड़प में घायल हुए जवान ने ली अंतिम सांस.
जवान का पार्थिव शरीर देखते ही हवलदार की पत्नी सती देवी, बेटा मनोज और बेटी मनीषा बदहवास हो गईं. रविवार सुबह बड़ी संख्या में लोग उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. इस दौरान सभी की आंखें नम होने लगीं. पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद उनकी पत्नी सती देवी कभी चिल्लातीं तो कभी बेहोश हो जाती. रिश्तेदार और पड़ोसी लगातार उन्हें ढांढस बंधाते दिखे. वहां पहुंचने वाला हर कोई खुद को भावुक होने से नहीं रोक सका.

रानीबाग चित्रशिला घाट पर सैनिकों ने पुष्प चंक्र अर्पित कर सैन्य सम्मान के साथ अपने साथी को अंतिम विदाई दी. बेटे मनोज ने पिता को मुखाग्नि दी.

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