पर्यटन की दृष्टि से नौकुचियाताल के लिए एक अहम फैसला लिया गया है. जिससे पर्यटकों को भी काफी आनंद मिलेगा. बताया जा रहा है कि नौकुचिया ताल में कश्मीर की तर्ज पर शिकारा नाव चलाई जाएंगी. जिसके लिए नाव का निर्माण किया जाने लगा है. आपको बता दें कि नैनीताल जिले में सिर्फ नौकुचियाताल में ही शिकारा नाव चलाए जाने की अनुमति मिली है. स्थानीय स्तर पर शिकारा नाव का निर्माण भी होने लगा है. कारीगरों को एक शिकारा नाव बनाने में 15 दिन का समय लग रहा है.
इस नाव में एक ही बार में 6 लोग आसानी से ताल की सैर कर सकते हैं. वहीं चप्पू वाली नाव में भी पहले के मुकाबले कई बदलाव किए गए हैं. पहले चप्पू वाली नाव तुन की लकड़ी की बनाई जाती थी. लेकिन तुन की लकड़ी की कीमत देखते हुए स्थानीय लोगों ने एक और अच्छा और सस्ता विकल्प खोज निकाला है. अब नाव के मालिक तुन की लकड़ी की जगह सिरस की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं जो कि आसानी से उन्हें उपलब्ध भी हो जाती है और वह काफी सस्ती भी होती है. और खास बात यह है कि सिरस की लकड़ी तुन की लकड़ी की तरह ही हल्की होती है.
इस नाव में एक ही बार में 6 लोग आसानी से ताल की सैर कर सकते हैं. वहीं चप्पू वाली नाव में भी पहले के मुकाबले कई बदलाव किए गए हैं. पहले चप्पू वाली नाव तुन की लकड़ी की बनाई जाती थी. लेकिन तुन की लकड़ी की कीमत देखते हुए स्थानीय लोगों ने एक और अच्छा और सस्ता विकल्प खोज निकाला है. अब नाव के मालिक तुन की लकड़ी की जगह सिरस की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं जो कि आसानी से उन्हें उपलब्ध भी हो जाती है और वह काफी सस्ती भी होती है. और खास बात यह है कि सिरस की लकड़ी तुन की लकड़ी की तरह ही हल्की होती है.
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