कालाढूंगी: वन विभाग की टीम पर हमला. गोली लगने से बीट वॉचर की मौत

कालाढूंगी: शुक्रवार की रात तराई केंद्रीय वन प्रभाग के बरहैनी रेंज में लकड़ी तस्करों ने वन विभाग की टीम पर गोलियां चला दीं. गोली लगने से बीट वॉचर बहादुर सिंह चौहान की मौत हो गई जबकि साथी महेंद्र सिंह घायल हो गया. घायल साथी को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटना के बाद नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के पुलिस अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों ने एक साथ मौके का मुआयना किया. वन रक्षक दीपक नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार की रात करीब 12 बजे वन क्षेत्राधिकारी ने सूचना दी कि कुछ लकड़ी तस्कर दक्षिणी बीट केएन 1 क्षेत्र में चोरी छुपे खैर का पेड़ काट रहे हैं. जानकारी मिलने के बाद वह अपने साथियों रोपण रक्षक मोहम्मद जान, मुमताज अली, विजेंद्र बाबू, महेंद्र सिंह और बीट वॉचर बहादुर सिंह चौहान के साथ वहां पहुंचे. वन विभाग की टीम में शामिल लोगों ने अपनी मोटरसाइकिलों को बौर नदी के पास झाड़ियों में छिपा दिया. और वहां से सभी तस्करों की तलाश में पैदल चल दिए. छानबीन के दौरान उन्हें वहां खैर का पेड़ कटा हुआ मिला. इस बीच वनकर्मी वहीं पास की झाड़ियों में छिप गए.
रात के लगभग दो बजे उत्तर-पश्चिम की ओर से आने वाली पगडंडी मार्ग से कुछ कदमों की आहट सुनाई देने लगी. इसपर बीट वॉचर बहादुर सिंह ने टार्च जलाई तो सामने लकड़ी तस्कर हरसान, (ऊधमसिंह नगर) निवासी लखविंदर सिंह और उसका साथी दिखाई दिया. बहादुर सिंह कुछ समझ पाता की अचानक दोनों तस्करों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर गोलियां चला दीं. एक गोली बहादुर सिंह के पेट पर लग गई. वहीं दूसरी गोली महेंद्र सिंह के पैर में लगी. साथी वन कर्मी दोनों घायल साथियों को उपचार के लिए हल्द्वानी स्थित एसटीएच लाए जहां डॉक्टरों ने बहादुर सिंह मृत घोषित कर दिया. गोलीकांड में घायल महेंद्र का कहना था कि तस्करों ने दो गोलियां चलाई थी. इस घटना में अपनी जान गंवाने वाले बहादुर सिंह पांवपुरी बरहैनी, बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) के निवासी थे. बहादुर सिंह 1986 से वन विभाग में तैनात थे. वन विभाग की टीम ने बाद में घटनास्थल के पास से तस्करों की दो बाइक और एक मोबाइल बरामद किया है. कालाढूंगी पुलिस ने कार्यवाही करते हुए इस मामले में लखविंदर सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 302 और 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. वन कर्मियों का कहना है कि लखविंदर के खिलाफ पहले से ही पांच से छह मुकदमे पहले से ही दर्ज हैं.

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