भाजपा विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन पार्टी से निष्कासित. वीडियो वायरल होने के बाद हुई कार्यवाही

खानपुर के भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का हुक्म आते ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. देर शाम को निष्कासन का नोटिस और स्थायी निलंबन की कार्रवाई के बीच केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया. प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने उनके निष्कासन की पुष्टि की है. बुधवार को जाजू ने केंद्रीय नेतृत्व से चैंपियन के निष्कासन की सिफारिश की थी. आपको बता दें कि कुंवर प्रणव चैंपियन का एक वीडियो शोसल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है. जिसमे वह अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद से ही कुंवर प्रणव चैंपियन सवालों के घेरे में हैं. राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस मामले में सख्त नाराजगी जताकर चैंपियन पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दे दिए थे. हालांकि प्रदेश संगठन देर रात तक चैंपियन को पार्टी से हटाए जाने के संबंध में अंजान था. प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन ने बताया कि अभी तक की कार्रवाई के तहत प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने चैंपियन का तीन माह का निलंबन को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया है. निष्कासन का नोटिस जारी कर चैंपियन से 10 दिन के भीतर जवाब भी मांगा गया है. उन्होंने बताया कि ये नोटिस प्रदेश महामंत्री अनिल गोयल द्वारा जारी किया गया है.
सूत्रों की मानें तो चैंपियन को निष्कासित करने को लेकर पार्टी पर जबर्दस्त नैतिक दबाव बना हुआ है. चैंपियन के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. संभवत: इसी नैतिक दबाव के कारण पार्टी ने चैंपियन के निष्कासन की कार्रवाई की है. भाजपा विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन के वीडियो को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी बेहद शर्मनाक करार दिया है. इस वायरल वीडियो में चैंपियन अपने हाथों में असलहे लहराते हुए नजर आ रहे हैं. चैंपियन के इस वीडियो में उनकी उत्तराखंड पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर पूरे प्रदेश में उबाल है. बृहस्पतिवार को जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चैंपियन पर कार्रवाई के बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये संगठन का काम है, संगठन ही इस पर उचित विचार करेगा, लेकिन उत्तराखंड के विषय पर जिस प्रकार की बात वीडियो में हुई है वह अत्यंत ही शर्मनाक है. इस तरह की भाषा का प्रयोग सामान्य व्यक्ति भी नहीं कर सकता. जनप्रतिनिधियों से तो इस तरह की अपेक्षा की ही नहीं की जा सकती. इसलिए जो बयान दिया गया है उसको कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता.

टिप्पणियाँ