जिंदगी की तमाम परेशानियों से जूझते हुए एक गरीब परिवार की होनहार बेटी अकमल जहां अंसारी ने जज बनकर क्षेत्र और मां का नाम रोशन किया है. बेटी को सफलता के शिखर पर पहुंचाने के लिए अकमल की मां को चूड़ियां तक बेचनी पड़ी. बेटी ने भी जज बनकर मां के संघर्ष और मेहनत का परिणाम दे दिया. हरिद्वार शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम घिस्सुपुरा की रहने वाली अकमल जहां अंसारी ने शुक्रवार को घोषित हुए पीसीएस-जे की परीक्षा में सफलता हासिल की है.
2007 में अकमल के पिता निसार अहमद की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. जिसके बाद पांच बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी अकमल की मां हाशमी बेगम के कंधों पर आ गई. अकमल जहां अंसारी उस समय कक्षा 11 की छात्रा थी. हाशिमा बेगम ने बच्चों के पालन पोषण और उनकी पढ़ाई पूरी करने के लिए घर के ही एक कोने में चूड़ी की दुकान खोल दी. अकमल ने आर्थिक तंगी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. गांव के ही स्कूल में अकमल जहां की प्राथमिक शिक्षा हुई. इसके बाद अकमल ने फेरुपुर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की. अकमल ने जज बनने का लक्ष्य लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का रुख किया.
2007 में अकमल के पिता निसार अहमद की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. जिसके बाद पांच बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी अकमल की मां हाशमी बेगम के कंधों पर आ गई. अकमल जहां अंसारी उस समय कक्षा 11 की छात्रा थी. हाशिमा बेगम ने बच्चों के पालन पोषण और उनकी पढ़ाई पूरी करने के लिए घर के ही एक कोने में चूड़ी की दुकान खोल दी. अकमल ने आर्थिक तंगी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. गांव के ही स्कूल में अकमल जहां की प्राथमिक शिक्षा हुई. इसके बाद अकमल ने फेरुपुर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की. अकमल ने जज बनने का लक्ष्य लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का रुख किया.
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